भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने 4 मार्च, 2024 को देश भर में अपने सभी कार्यालयों में भव्य रूप से अपना 174वां स्थापना दिवस मनाया। यह आयोजन बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। कोलकाता में केंद्रीय मुख्यालय में, इस समारोह का उद्घाटन भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के महानिदेशक श्री जनार्दन प्रसाद ने किया। उन्होंने समारोह की शुरुआत करने के लिए पारंपरिक दीपक प्रज्ज्वलित किया। इस कार्यक्रम में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के पूर्व महानिदेशक और मुख्य अतिथि डॉ. एम.के. मुखोपाध्याय, सीएचक्यू के अतिरिक्त महानिदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ. जॉयदीप गुहा और अन्य प्रमुख कामकाजी और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के सेवानिवृत्त अधिकारियों सहित कई गणमान्य लोग इस अवसर पर उपस्थित थे।
समारोह की शुरुआत भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के संस्थापक डॉ. थॉमस ओल्डम और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के पहले भारतीय प्रमुख डॉ. एम.एस. कृष्णन के योगदान के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि के रूप में उनके चित्रों पर माल्यार्पण के साथ हुई। इसके बाद चट्टानों, खनिजों और जीवाश्मों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया, जो कोलकाता और उसके उपनगरों के विभिन्न कॉलेजों के विद्यार्थियोंके लिए खुली थी।
अपने स्वागत भाषण में, डॉ. जॉयदीप गुहा, अपर महानिदेशक और विभागाध्यक्ष, सीएचक्यू ने अपनी स्थापना के बाद से भारत में खनिज अन्वेषण और भूवैज्ञानिक ज्ञान के विकास में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।
इस अवसर पर, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के महानिदेशक, श्री जनार्दन प्रसाद ने संगठन के शानदार 174 वर्ष के इतिहास, देश के खनिज संसाधनों की खोज में इसके अपरिहार्य योगदान और अग्रिम उपयोग के साथ देश को खनिज संसाधनों में आत्मनिर्भर बनाने की इसकी सतत प्रतिबद्धता पर बल दिया। इसके साथ ही देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खनिज अन्वेषण में जांच तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग और वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग बल दिया। उन्होंने भू-खतरा प्रबंधन और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के क्षेत्र में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा किए जा रहे अभूतपूर्व कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने वर्षों से भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के विकास और सफलता में उनके समर्पण और योगदान के लिए पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों को भी धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम के दौरान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के पूर्व महानिदेशक और मुख्य अतिथि डॉ. एम.के. मुखोपाध्याय ने दूरदराज के क्षेत्रों में अपने व्यापक भूवैज्ञानिक क्षेत्र कार्य और नीति निर्माताओं के साथ बातचीत के दौरान अपने विचार साझा किए। उन्होंने सुदूर क्षेत्रीय कार्य से लेकर हाई-प्रोफाइल बैठकों तक एक भूविज्ञानी के जीवन के द्वंद्व पर बल दिया। उन्होंने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) समुदाय से उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने का आग्रह किया और नीति निर्माताओं को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की वैज्ञानिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम के दौरान, इंडियन जर्नल ऑफ जियोसाइंस (खंड 77, अंक IV) का नवीनतम अंक जारी किया गया, जिसमें भूविज्ञान के क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधान और विकास पर प्रकाश डाला गया। इसके अतिरिक्त, प्रख्यात भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान और प्रस्तुतियों की एक श्रृंखला आयोजित की गई, जिसमें मशीन लर्निंग का उपयोग करके खनिज संभावना विश्लेषण और भूविज्ञान में उभरती प्रौद्योगिकियों और भविष्य के खनिजों/धातुओं के लिए चुनौती जैसे विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला गया। समारोह में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम और सेवानिवृत्त अधिकारियों का अभिनंदन भी किया गया था।