झांसी अग्निकांड: मासूमों की मौत से कांप उठा दिल, हादसा या लापरवाही?

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झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन देखभाल यूनिट (NICU) में लगी भीषण आग ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में 10 नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 16 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना का दर्द इतना गहरा है कि सवाल उठने लाजमी हैं—यह हादसा था या प्रशासन की बड़ी लापरवाही?

प्रत्यक्षदर्शी ने खोला राज:

हमीरपुर के भगवान दास, जिनका पोता NICU वार्ड में भर्ती था, ने खुलासा किया कि हादसे के समय नर्स ने ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को जोड़ने के लिए माचिस की तीली जलाई। तीली जलते ही आग पूरे वार्ड में फैल गई। अगर सेफ्टी अलार्म समय पर बज जाता, तो कई मासूमों की जान बचाई जा सकती थी।

सिस्टम की खामियां:

4 साल से एक्सपायर था फायर सिलेंडर: आग बुझाने वाले उपकरण निष्क्रिय थे।

54 बच्चों से भरा वार्ड: लेकिन सुरक्षा के लिए कोई कारगर योजना नहीं थी।

शॉर्ट सर्किट या मानवीय चूक? शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट की बात सामने आई थी, लेकिन अब प्रत्यक्षदर्शी की गवाही से सवाल गहराते जा रहे हैं।

सरकार और प्रशासन का रुख:

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए 12 घंटे में जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और एडीजी मौके पर पहुंचकर घटना का जायजा ले रहे हैं।

परिवारों का दुख:

इस हादसे में मासूमों की जिंदगी पलभर में खत्म हो गई। नवजात, जिन्होंने अभी ठीक से दुनिया देखी भी नहीं, उनकी मौत ने माता-पिता को गहरे शोक में डाल दिया है।

कब सुधरेगा सिस्टम?

यह हादसा महज एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक गंभीर सवाल है—आखिर कब तक लापरवाही मासूमों की जान लेती रहेगी? फायर सेफ्टी सिस्टम, कर्मचारियों की ट्रेनिंग और सुरक्षा उपकरणों की नियमित जांच क्यों नहीं होती?

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