आज की सबसे बड़ी चुनौती है धर्म को पाखंड से बचाना

!! राम!!
आज की सबसे बड़ी चुनौती है धर्म को पाखंड से बचाना..
कलियुग के आगे बढ़ते चरण उसके साथ ही बढ़ता धर्म में पाखंड…
जो जितना बड़ा पाखंडी वो उतना बड़ा धर्मगुरू ।
हाथरस की घटना दिल दहला देने वाली घटना है ,आज तो लोगों को विना कुछ किये चमत्कारिक लाभ चाहिये ।
इसी को कुछ तथाकथित धार्मिक भुना रहे ,समौसा-चटनी खिलाने से लेकर,भूत-प्रेत भगाने के दरबार से लेकर, टोने-टोटके के आडंबर तक के कार्यक्रमों में सत्संग के नाम पर उमड़ता जनसैलाब श्रद्धा में अपनी जान तक गँवा दे रहा है ।
धर्म मे पाखंड का विरोध हमारे हर धर्मग्रंथ में किया गया है ।
सत्संग से विवेक की प्राप्ति होती है न कि सत्संग और अंधा बनाता है । और लोगों में श्रद्धा के साथ इतना विवेक तो अवश्य होना चाहिये कि जो जूता पैंट-शर्ट ,पाजामा आदि पहन कर धर्मोपदेश कर रहा है वो कैसा शास्त्र ज्ञाता?
जो शास्त्रानुकुल वेष-भूषा ,तिलक-चंदन तक से रहित है वो कैसा सत्संग करा रहा ?
जहां कुछ “सत् “ दिख ही नहीं रहा ।
न आहार की शुद्धि ,न उचित वेशभूषा ,जूता पहन कर धर्मोपदेश ये कैसी संगति ?
ऐसे ही तथाकथित धार्मिकों (अधार्मिकों) के कृत्य से लोग धर्म को कमजोर समझ लेते है ।
ये धर्म का दोष नहीं ,धर्म के नाम पर ये शोषक दोषी है ।
जिनकी न कोई आचार्य परम्परा ,न कुल परम्परा ,न सम्प्रदाय , न सिद्धांत ,न शास्त्र बोध तो ये किस प्रकार के संत? और ऐसे लोगों से हुयी क्षति …में धर्म या संतत्व का क्या दोष?
(मीडिया के द्वारा तथा सोशल मीडिया पर ऐसे ढोंगी,धूर्त और पाखंडियों को संत-साधू या हिन्दू बाबा कहना ये सभी साधू-संतों का ,सनातन धर्म का और हिन्दुत्व का अपमान है )
!! जय सियाराम वैदिक धर्म प्रिय हो!!